सार्थक होली

. . 8 टिप्‍पणियां:
         अबकी होली पर पढें शांति जी की लघुकथा होली की राम राम के साथ   
                                            संपादक                                                      

          आज होली है और करुणा अपने घर के पूजा स्थल मे विराजित अपने कान्हा को सुगन्धित पुष्पों से होली खेला रही थी,तभी करुणा कि बारह साल की पोती प्रिया आई और कहा’’दादी,आप यहाँ बैठी हो,मैंने आपको सब जगह देखा|’’क्यों,क्या हुआ|,बाहर आओ ना रंग,गुलाल और पानी से होली खेलते है,अरे ! कहाँ है इतना पानी,बर्बाद करने के लिये| करुणा ने कहा | प्रिया को गुस्सा आगया ‘’आप को नहीं खेलना है तो मत खेलो मुझे तो खेलना है प्लीज आप पानी कि बर्बादी का वास्ता देकर मुझे मत रोको और वो चली गयी खेलने |
करुणा चुपचाप अपने कमरे मे जाकर बैठ गयी,सोचने लगी कि कैसे बच्चो को पानी कि कीमत समझाई जाये |करुणा ने मन ही मन कुछ तय किया,करुणा महाराष्ट्र मे रहती थी यहाँ पर पानी कि बहुत तंगी रहती है |पानी को देख कर ही खर्च किया जाता है|
कुछ दिनों बाद करुणा अपनी पोती प्रिया को उस जगह जे जाती है जहाँ,कई कई दिनों से पानी आता है |महाराष्ट्र का एक गाँव तो ऐसा है जहाँ पैतीस दिनों बाद पानी आता है |वहां के वासिंदो को पानी स्टोर करके रखना पड़ता है|करुणा अपने एक परिचित के घर प्रिया को ले कर जारही है रास्ते मे प्यास लगने पर प्रिया करुणा से बिसलेरी कि पानी कि बोटल खरीदने को बोलती है,तब करुणा ने कहा ‘यहाँ पानी ऐसे नहीं मिलता है ,तो कैसे मिलता है|’प्रिया ने पूछा,परिचित का घर आचुका था दोनों अन्दर गयी ,परस्पर अभिवादन के बाद सब बैठ गये थे |
करुणा ने बात शुरू करते हुए प्रिया से कहा ‘’यहाँ कई कई दिनों से पानी आता है .पीने के लिए ही मुश्किल से पानी मिलता है नहाने के लिए तो यहाँ कोई सोचता भी नहीं है |कई कई दिनों से यहाँ के लोग नहा पाते है |करुणा अपनी पोती को और भी कई घरो में ले कर गयी सब का यही हाल था सब पानी के लिये तरसते हुए नजर आये थे |
ये सब देख कर प्रिया बहुत दुखी हुई दादी से होली वाले दिन के लिए माफ़ी मांगने लगी’’मुझे नहीं पता था था कि पानी कि कितनी वेल्यु है हमारे जीवन मे,प्रिया ने कहा ‘’पानी बिना इंसान जिन्दा नहीं रह सकता है इसलिए आज से बल्कि अभी से तुम और तुम्हारे दोस्त सभी मिलकर ये वादा करो अपने आप से कि आगे से होली पर पानी कि बर्बादी नहीं करेंगे केवल पुष्प और गुलाल से होली खेलेंगे |’प्रिया ने अपनी दादी कि बात सहर्ष मानली करुणा ने पोती को गले से लगा लिया |


शांति पुरोहित

8 टिप्‍पणियां:

  1. होली पर काफी अच्‍छी लघुकथा के लिये
    शुरूआत टीम आपका धन्‍यवाद देती है शान्ति जी
    मनमोहन कसाना

    संपादक

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  2. एक सार्थक लघुकथा के लिए बधाई और होली की राम राम शांती जी

    जवाब देंहटाएं
  3. bahuuuuuuuuuuuuuuuut hi badhiya kahani..kitna bada sandesh de diya hai aapne...

    जवाब देंहटाएं
  4. शांति जी बिल्कुल संक्षेप में आपने पानी की बचत का संदेश पाठकों तक पहुचाया हैं। बधाई। आपने जिस प्रदेश और राज्य का उल्लेख किया वहां का मैं निवासी हूं और मैं महाराष्ट्र में पानी के दुर्भिक्ष को देख भी रहा हूं। शहरों की अपेक्षा गांवों के हालात भयानक है, आपने कहानी में सार्थक वर्णन किया है। पर आपको बता दूं शहरों में जरूरत के लिए पानी भरपूर मिलता है और लोग इसका अपव्यय भी करते हैं। आपके कहानी की दादी जिस पीडा से गुजर रही उस पीडा से मैं भी गुजर रहा हूं क्योंकि दो दिन बाद जब नल को पानी आता है तब लोग बंगले के सामने वाली खाली जगह, रस्तों पर पानी छिडकने लगते है। बताने से कुछ बनता नहीं। शहरवासियों को गांवो में पानी का दुर्भिक्ष, खेती का विरान होना, कुओं का सूखना... आदि बातों में चिंता का विषय है। कृति और जहां सजगता दिखानी जरूरी है वहां मुंह...(?)से खाली हवा निकलती है।

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  5. विजय, जी आप जो कह रहे है ठीक कह रहे है पर कोई पानी की कीमत समझना ही नहीं चाहता है तो कोई क्या करे|

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