गुलाब भाई की पत्नी की आज १८ वीं बरसी थी | ब्राह्मण खाना खा रहे थे |
तभी गुलाब भाई ने देखा एक बीस साल का लड़का दरवाजे पर आकर खड़ा होगया | और
बोला की ” दादी ” की बरसी मे मुझे नहीं बुलाओगे क्या ?” उसे देख कर गुलाब
भाई को अपने बेटे महेश की याद आगयी | क्योकि वो महेश जैसा दिख रहा था |
गुलाब भाई कुछ कहे उससे पहले ही वो लड़का जिसका नाम ”अंकित ” था हाथ धोकर
दादाजी के साथ ही उनकी थाली मे खाने बैठ गया | गुलाब भाई देखते ही रह गये |
अब जब सभी ब्राह्मण खाना खा के चले गये , गुलाब भाई और अंकित का भी खाना
समाप्त हुआ तो गुलाब भाई ने अंकित से पूछा कि ” तुम्हे कैसे पता चला कि
आज दादी की बरसी है,और ब्राह्मण भी आयेंगे खाना खाने |” तो अंकित ने कहा ”
कोई ”महेश” नाम का आदमी है, जो मेरे पापा है, उन्होंने बताया है |” महेश
नाम से ही गुलाब भाई को नफरत थी तो सुन कर उन्होंने अपना चेहरा घुमा लिया |
अंकित ने दादाजी के चेहरे पर आये भाव को देख कर कहा’आज के बाद” महेश”
हमारे बीच कभी नहीं आयेगा ”खुश ‘| अब अंकित ने दादाजी के साथ जबरदस्ती
दोस्ती करली | अब वो हर संडे को दादाजी के पास आने लगा | कभी दादाजी को साथ
लेकर पिज्जा खाने ,कभी होटल तो कभी इंग्लिश फिल्म देखने जाने लगा | एक दिन
अंकित दादाजी को इंग्लिश फिल्म दिखाने ले गया ‘ पर उनको कुछ समझ नहीं
आरहा था ‘वो तो अपने गत जीवन के बारे मै सोचने लगे | गुलाब भाई को वो दिन
याद आये जब वो खुद अठारह साल के थे| उनके पिताजी को लकवा होगया था’ और वे
लाचार हो गये थे | अब जाहिर है कि घर की और तीन छोटे भाई बहनों की
जिम्मेदारी उनके कंधो पर आगयी| गुलाब भाई ने सब भाई बहनों को पढ़ाया
लिखाया,और खुद अपनी शादी २५ साल की एक लड़की से की | मेहनत करके अपने छोटे
से काम को बहुत आगे बढाया फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा | गुलाब के तीन बच्चे
हुए ,उनको भी बड़ा किया ,पढाया लिखाया | बेटियों की शादी पास ही के शहर मे
की .पर बेटी अपनी किस्मत खुद लिखवा के लाती है | दामाद को जॉब के लिए
अमेरिका जाना पड़ा ,जाहिर है,बेटिया भी दूर हो गयी | अब बेटा भी डाँक्टर बन
गया,और जॉब के लिए अमेरिका जाना चाहता था|”बाबूजी मै भी जॉब के लिए
अमेरिका जाना चाहता हूँ,बाबूजी ने कहा” भारत की सारी बौद्धिक क्षमता विदेशी
चकाचौध ,लुभावने पैकेज के लिए देश के प्रति अपने कर्तव्य को भूल कर विदेशो
मे चली जायेगी तो अपने वतन की सेवा कौन करेगा ?”महेश,उनके बेटे ने अपने
पिता की बात तो मानी ,पर अपना सपना टूटने से पिता से उसकी आत्मीयता कम हो
गयी थी |पिता के देश प्रेम ने बेटे को बाप से दूर कर दिया था | महेश मुंबई
की जानी मानी अस्पताल मे ह्रदय विशेषज्ञ बन गया | कुछ समय बाद गुलाब भाई ने
बेटे की शादी करदी | कुछ समय बाद उसने कहा कि” मै अलग घर मे रहना चाहता
हूँ”| और अपनी पत्नी के साथ माँ -बाप को अकेला छोड़ के चला गया| जाहिर है
बाप बेटे की लडाई मे माँ को ही भुगतना पडता है| वो बेटे का जाना बरदाश्त
नहीं कर सकी अचानक उसे दिल का दौरा पड़ा और डॉ महेश जैन की माँ चल बसी |
उसी दिन से गुलाब भाई ने बेटे का नाम तक लेना छोड़ दिया| ना कभी वो आया ना
कभी वो मिलने गये | पर इस अंकित ने जबरदस्ती रिश्ता बनाया कि वो ना भी
नहीं बोल सके| तभी फिल्म ख़त्म होगयी | दादा पोता दोनों होटल की तरफ बढ़
गये | वहां पर अंकित के दोस्त पहले से ही खड़े थे | पर एक दोस्त थोडा दूर
खड़ा था | गुलाब भाई को कुछ समझ नै आरहा था | एक दोस्त अंकित से कह रहा था
कि”अंकित यार नील से कितने दिन बात नहीं करेगा ? ख़त्म कर ना झगड़ा”मैंने
तो उसे कितनी बार मोबाइल किया! पर वो उठा ही नहीं रहा था|”अब अंकित ने अपने
दूर खड़े हुए दोस्त को इशारे से बुलाया और गले से लगा लिया | इतनी जल्दी
अंकित को गले मिलते देख गुलाब भाई ने पूछा झगड़ा क्या था तुम लोगो मे ?
अंकित बोला ”हम बहुत पुराने दोस्त हैं,पर इसने मेरी क्लास की लड़की को
छेड़ा तो झगड़ा हुआ,यहाँ तक मारा-मरी भी हुई | मुझे बहुत चोट आई कुछ दिन
अस्पताल मे भी रहा,पर चलो अच्छा हुआ आज झगड़ा ख़त्म हुआ| दादाजी बोले ”उसने
तुम्हे इतना मारा फिर भी तुमने उसे उसी दिन फोन किया ! अंकित बोला”दादाजी
आज की पीढ़ी किसी बात को ज्यादा दिन तक दिल से लगा कर नहीं रखती हैं | भुला
देते हैं हम नफरत नहीं प्यार पालते हैं अपने दिल मे सब के लिया ”यहाँ खड़े
सब की आँखों मे खुशी के आंसू आगये | सब अपने -अपने राश्ते पर चल पड़े,पर
दादाजी रुक गये ,उनको खड़ा देख कर अंकित ने कहा क्या हुआ ? ”दादाजी”अभी का
अभी तेरे बाप महेश को फोन लगा | अब मै भी तुम्हारा दोस्त हु ना ,मुझे भी
अपने दिल मे नफरत नहीं रखनी है | मेरे बेटे से अभी मिलना है | अंकित रो
पड़ा | ”जिस काम के लिए मुझसे दोस्ती की वो तो होगया | तुम्हारे जैसे युवा
लोग ही घर समाज और दुनिया से नफरत को ख़त्म कर सकता है
Index Labels
mail us
शुरूआत प्रकाशन की पेशकश
लेखा - जोखा
आमंत्रण
(3)
आर्शीवाद
(1)
आलेख
(1)
कविता
(9)
कहानी
(12)
गीत
(2)
डॉ.विजय शिंदे
(1)
डॉ.सुनील जाधव
(1)
मेरा गांव मेरा देश
(1)
राजनिति
(6)
लघुकथा
(6)
व्यंग्य
(2)
संपादकीय
(3)
समीक्षा
(1)
सलाम
(3)
सामयिक चर्चा
(9)
हम ला रहे हैं जल्दी ही हिन्दी के साथ साथ अंग्रेजी में भी कई किताबें
लेखक बन्धु सम्पर्क कर सकते हैं - 09672281281
Other Recent Articles
Followers
Feature Posts
Random Post
अप्रकाशित व मौलिक रचनाओं का सहर्ष स्वागत है
Recent Posts
BlogRoll
topads
सर्वाधिकार @ लेखकाधिन. Blogger द्वारा संचालित.
Popular Posts
-
आधारहीन किसानों का खेती से पलायन ‘मूठमाती’ डॉ. विजय शिंदे प्रस्तावना –...
-
डॉ.सुनील जाधव,नांदेड , महाराष्ट्र , ब्लॉग - नवसाहित्यकार ...
-
image from goggle मनुष्य सजीव प्राणी है बुद्धि के बलबूते पर दूसरों के दिलों - दिमाग को समझना और कल्पना करने की अद्भुत क्षम...
-
प्रस्तुत किताब बेस्ट सेलर बुकर प्राप्त किताब रही है और दो-तीन साल पहले इस पर 'मिडनाईट चिंल्ड्रन' फिल्म भी बनी है। एक उत्कृष्ट क...
-
sanjay saini ki wall se sabhar...... Good Article and everybody who has some sense on Topic like RAPE must read it बलात्कार हो गया, बलात्...
-
मनमोहन कसाना अबकी बार हम ले चलते हैं आपको प्राचीन समय से लघुकाशी के नाम से प्रसिद्व वैर कस्बे की ऐसी जगहों पर जिको देख कर आप स्वं...
-
kahani pratiyogita me puruskrat kahani रंजन अपने बड़े से बंगले के पिछवाड़े में बने छोटे से कमरे में अपने बाबूजी की ...
-
Ashok Choudhary किसी जमाने में राजस्थान दुनिया के व्यापार का केंद्र था. अंग्रेजों के आने से पहले तक. भारत के सारे अन्तराष्ट्रीय व्याप...
-
यहाँ म्रत्यु की तरह शोक की भी श्रेणी है | गरीब की म्रत्यु पर बैठक होती है अमीर की म्रत्यु पर सभा होती है | ये सभा भारत की ...
Very well written story, nicely depicted the difference of old & new generation.
जवाब देंहटाएंPlease visit my blog http://Unwarat.com Please read the stories & articles & give your comments.
Vinnie