उर्दू शायरी भी क्या चीज है जिसको पढ कर आप यह सच जान सकते हैं कि प्रेम अन्धा होता है जबकि हिन्दी कविता पढ कर पता चलता है कि शादी आँखें खोल देती है। बहरहाल यहाँ मैं हिन्दी-उर्दू कविता या शायरी की बात नहीं कर रहा हूं अपितु आँखें बन्द होने और खुल जाने की बात कर रहा हूं जो किसी नेत्र चिकित्सक की चिंताओं की तरह नहीं है जो आपके नेत्र देखते हुए आपको नेत्रदान की सलाह देने लगते हैं।
हमारे भारत देश में एक प्रदेश मध्य प्रदेश है और अगर हम पूरे देश को किसी मानव शरीर की तरह देखें तो मध्य प्रदेश देश का पेट नजर आयेगा। जब से इस प्रदेश के नेताओं को अपनी इस स्थिति का भान हुआ है वे निरंतर खाने को अपना परम पुनीत दायित्व समझ रहे हैं। खाये जाओ खाये जाओ यूनाइटिड के गुण गाये जाओ। खेत खालो, खदानें खा लो, बस्तियों की बस्तियां खा लो, पर ‘अपना मध्य प्रदेश’ भरते रहो। एक मंत्री दूसरे को थोड़ा भी उदास देखता है तो पूछता है- ये क्या हाल बना रखा है, कुछ लेते क्यों नहीं? उसे क्या पता कि उसका तो लेते लेते ही हाजमा खराब हो गया है, और इसी से ये हाल बन गया है।
जब नेता खाते ही रहेंगे और उड़ते रहेंगे तो उन्हें जनता की तकलीफों का ध्यान कहाँ से आयेगा। जो बीजेपी, बीएसपी अर्थात बिजली सड़क पानी के नाम पर सत्त्ता में आयी थी उसने फिर से सत्ता में आने के लिए दस साल बाद भी अपने मुद्दों को बदला नहीं है। सरकार समझ रही थी कि अभी भी सारे मुद्दे जैसे के तैसे हैं और ये ही अगले चुनावों में काम आ जायेंगे पर वह धोखा खा गयी। सारे मुद्दे जैसे के तैसे नहीं हैं अपितु और भी बुरे हो गये हैं। प्रेम अन्धा हो सकता है पर प्रेमिका की तो बड़ी बड़ी और कई बार कजरारी आँखें होती हैं जो तीर वगैरह चलाने से बचे समय में देख भी लेती हैं। प्रदेश में जो सड़कें मध्य प्रदेश के इनवेस्टर मीट दर इनवेस्टर मीट कराते जाने वाले मुख्यमंत्री समेत पूरे मंत्रिमण्डल को नहीं दिख पाती थीं उन्हें हेमामालिनी ने ग्वालियर से दतिया की एक बार की यात्रा में ही देख लिया। तीन घंटे में तिहत्तर किलोमीटर की यात्रा करने में उन्हें पिचासी झटके लगे जिसके बदले में उन्होंने प्रदेश की सरकार को फटकार लगा दी। प्रदेश सरकार को अपनी स्टार प्रचारक की दृष्टि से देखने को मजबूर होना पड़ा तब उनकी समझ में आया कि प्रदेश में क्या हो रहा है। कहते हैं कि हेमामालिनी दतिया में सरकारी आयोजन में नृत्य करने आयी थीं और मंच पर उन्होंने जो अपनी दैहिक पीड़ा व्यक्त की उसे ही नृत्य समझा गया।
मध्य प्रदेश में फिल्मों की शूटिंग्स शायद इसलिए ही बढ रही हैं क्योंकि सरकार अपनी तौर पर देखने की क्षमता खो चुकी है और वह जो कुछ भी देखना चाहती है वह फिल्मी कलाकारों की नजर और अनुभवों के आधार पर ही देखना चाहती है। आमिर खान आकर बता जाते हैं कि गाँवों में गरीबी, बेरोजगारी, व आत्महत्याएं बढ रही हैं, तो प्रकाश झा आकर बता जाते हैं कि राजनैतिक हिंसा कितनी बढ रही है। अमिताभ बच्चन बतलाते हैं कि शिक्षा का निजीकरण किस तरह से शिक्षा पद्धति का सत्यानाश कर रहा है, और कुछ ही दिनों चोर का शोर भी मचने वाला है। कुल मिला कर सरकार तो धृतराष्ट्र की तरह से सुन भर रही है देख कुछ नहीं रही है। मंत्रिमण्डल में सफेद वर्दी वाले गुण्डे भरे हुए हैं जिनमें से कुछ के कारण तो मुख्यमंत्री को कभी कभी खुद अपनी जान का खतरा महसूस होने लगता है। वरिष्ठ नेता उन्हें घोषणावीर बताते हैं तो किसान नेता वादा तोड़ने वाला बताते हैं, पर जब तक हेमा मालिनी न कह दें वे किसी की बात नहीं सुनेंगे ऐसा तय कर चुके हैं।
Narendra Singh Ambawat
Lives in Jaipur City, Rajasthan, India
From Jhunjhunu, Rajasthan, India
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