न्याय ^^कहानी^^
सत्यनारायण जी युवा कहानी के इस दौर के चर्चित कहानीकार हैं |
सत्यनारायण पटेल
कहने में क्या बुराई है..? मैं अगर कहूँ कि कल दिन में तारे इस क़दर चमक रहे थे कि सूरज नज़र नहीं आ रहा था, दिन में बहुत भयानक अंधेरा था और जब मैं ठीक साढ़े
बारह बजे कोर्ट के सामने से गुज़र रहा था, कुछ भी दिखायी नहीं दे रहा था, जबकि गाड़ी की सभी लाइट्स झकाझक चालू थीं। आप क्या कहेंगे…? मेरे कहे पर हँसेंगे…! या मुझे खिसका हुआ कहेंगे ..! या
फिर शायद मुझे किसी तरह के नशे में डूबा समझें…! यक़ीन हैं आप मुझे कुछ भी कहेंगे.. जो चाहे समझेंगे, पर मेरी बात पर भरोसा न करेंगे..! क्योंकि मेरा कहा एक-एक लफ़्ज झूठ है, तो मैं आपसे कहाँ कह रहा हूँ कि मैं ही हूँ- हरिशचन्द्र की औलाद।
जल्दी ही शानदार
बहस और टिप्पणियों के साथ
संपादक
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