गौरीशंकर यानी
गौरी शंकर रजक जैसे लोग कम ही होते हैं । वे 2 नवंबर 1986 से आठ पृष्ठों का हस्तलिखित अखबार निकाल रहे थे-'दीन दलित' । प्रतिदिन नियमित रूप से 8 बेज का । वह भी बिना किसी सहयोग के । इस अखबार को उनके द्वारा खुद वितरित भी किया जाता
गौरी शंकर रजक जैसे लोग कम ही होते हैं । वे 2 नवंबर 1986 से आठ पृष्ठों का हस्तलिखित अखबार निकाल रहे थे-'दीन दलित' । प्रतिदिन नियमित रूप से 8 बेज का । वह भी बिना किसी सहयोग के । इस अखबार को उनके द्वारा खुद वितरित भी किया जाता
था। यानी मुद्रक, प्रकाशक, संवाददाता, मैनेजर, लेखक संपादक, हॉकर सब कुछ वे ही थे । लंबे अर्से से बीमार चल रजक का पिछले शुक्रवार निधन हो गया । दीन दलित के संपांदक श्री गौरी शंकर रजक को अंतराष्ट्रीय प्रेस दिवस 2008 के मौके पर जनमत मीडिया आवार्ड से सम्मानित किया गया। गाँधी के राहों पर चलने वाले गौरी शंकर रजक का जन्म सन् 15 जनवरी 1930 में बिहार के दुमका जिले में गिधनी नामक स्थान में हुआ। बिहार के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर जी उसे हिन्दी पत्रिका निकालने का अनुमति दिया था। हस्त लिखित प्रत्रिका से दुमका के उपायुक्त से लेकर जिला प्रसाशन को अवगत कराया लेकिन किसी ने इसे निबंधित पत्रिका का दर्जा न देते हुए मान्यता नहीं दी। फिर उन्होंनें देष के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री के. आर. नारायण को पत्र लिखकर अपनी पीडा जतायी। राष्ट्रपति नारायण ने 15 दिनों के अंदर दीन दलित पत्रिका को साप्ताहीक अखबार का दर्जा 2 नवंबर 86 को दिया।उनके शहर दुमका में मित्रों ने उन्हे भावभीनी श्रद्धांजलि दी है । गाँधी के राहों पर चलने वाले गौरी शंकर रजक सचमुच चौथे स्तम्भ के नायाब सिपाही थे ।
साभार श्री जय प्रकाश मानस जी के फंसबुक बॉल से
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