नमस्कार,
तेरी-मेरी उसकी बातों को छोडकर क्या हम सभी देश में बढ रही मंहगाई पर अंकुश लगाने की बात नहीं कर सकते, नहीं क्योकि हम ऐसा नहीं कर सकते शायद मेरी नजर में मैं राजस्थान में रहता हूं और आप शायद उतरप्रदेश या फिर हो सकता है कि मैं कांग्रेसी हू और तुम भाजपाई या फिर तुम हिन्दू और मैं मुसलमान हो सकता हूं , मेरे यह सब कहने से आशय है कि हम लोग आज भी बंटे हुयें हैं जैसे पहले गुलामी में बंटे हुये थे
और इसी कारण चंद मुखोटे धारी लोग हम पर बार-बार उपरोक्त बिन्दूओं पर लडाकर ही शासन कर जाते हैं और हम फिर अगली बार का इंतजार करते हैं अगर हम सब एक बार सिर्फ एक बार यह सोच कर देखे कि हम सभी हिन्दुस्तानी हैं तो फिर देखो ये ही सफेदपोश बकरी की तरह मिमयाते हुये सभी कार्य करने के लिऐ दौडते फिरेंगे, और फिर जो नुकसान हमें आंदोलनों से होता है वो विकास के काम आ सकता हैं
सादर
आपका अपना
मनमोहन कसाना
संपादक - शुरूआत
तेरी-मेरी उसकी बातों को छोडकर क्या हम सभी देश में बढ रही मंहगाई पर अंकुश लगाने की बात नहीं कर सकते, नहीं क्योकि हम ऐसा नहीं कर सकते शायद मेरी नजर में मैं राजस्थान में रहता हूं और आप शायद उतरप्रदेश या फिर हो सकता है कि मैं कांग्रेसी हू और तुम भाजपाई या फिर तुम हिन्दू और मैं मुसलमान हो सकता हूं , मेरे यह सब कहने से आशय है कि हम लोग आज भी बंटे हुयें हैं जैसे पहले गुलामी में बंटे हुये थे
और इसी कारण चंद मुखोटे धारी लोग हम पर बार-बार उपरोक्त बिन्दूओं पर लडाकर ही शासन कर जाते हैं और हम फिर अगली बार का इंतजार करते हैं अगर हम सब एक बार सिर्फ एक बार यह सोच कर देखे कि हम सभी हिन्दुस्तानी हैं तो फिर देखो ये ही सफेदपोश बकरी की तरह मिमयाते हुये सभी कार्य करने के लिऐ दौडते फिरेंगे, और फिर जो नुकसान हमें आंदोलनों से होता है वो विकास के काम आ सकता हैं
सादर
आपका अपना
मनमोहन कसाना
संपादक - शुरूआत
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