जल्दी -जल्दी से बढे जा रहे हैं रजनी के कदम। आज तो देर हो गयी ,जाते ही डांट पड़ेगी सर से। जिम में समय पर पहुंचना उसकी ड्यूटी है लेकिन छोटे बच्चे और भाई - बहनों , बूढी माँ को सँभालते -सँभालते देर हो ही जाती है।
जिम पहुंचकर सर पर एक नज़र डाल कर जल्दी से पहुँच जाती है औरतों के समूह में जो उसके इंतजार में दुबली ( ? ) हो रही थी।
अब सभी के पैर थिरक रहे थे तेज़ संगीत की लय पर। हर -एक के एक साथ ,हाथ और पैर उठ रहे थे। दिमाग में सभी को अपने-अपने बढे हुए पेट सपाट करने की चिंता थी।
और रजनी ?
उसे भी तो चिंता थी अपने पेट को सपाट करने की , जो कि अंतड़ियों से चिपका हुआ था .......
उपासना सियाग
अबोहर पंजाब
upasnasiag@gmail.com
badhiya
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